मैं जिंदा हूं डीएम साहब, आपके अधिकारी नहीं मान रहे

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मैं जिंदा हूं

12 साल पहले मृत दर्शाई जा चुकी महिला बार बार चीख चीख कर कह रही है कि मैं जिंदा हूं लेकिन जिले के अधिकारी कारवाई नही ंकर रहे। मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने वाले ने जमीन अपने नाम करवाने के बाद जमीन पर लोन भी करा लिया लेकिन जिंदा के कहने पर भी उसे जिंदा दर्ज नहीं माना जा रहा है।
यहां बता दें कि मामला यूपी के जनपद बदायूं के विकास खंड सलारपुर के गांव हुसैनपुर करैतिया का है। यहां की रहने वाली अख्तरी पत्नी शहाबुद्दीन जिंदा हैं। इनका गांव के ही एक व्यक्ति ने अख्तरी का ब्लाक के अधिकारियों व कर्मचारियों से मिलकर मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया। जिसकी अख्तरी को भनक तक नहीं लगी। मृत्यु प्रमाण पत्र के बाद तहसील प्रशासन से मिलकर उस व्यक्ति ने जमीन भी अपने नाम अंकित करा ली। यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि लेखपाल कभी मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर नामांतरण नहीं करता है बल्कि वह गांव में जानकारी करने के बाद ही नामांतरण करता है।

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इसके बाद अख्तरी बेगम की 48 वीधा जमीन की विरासत उस व्यक्ति के नाम पहुंच गई जिससे अख्तरी वेगम का कोई वास्ता सरोकार नहीं है। जब उस व्यक्ति ने जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया तब अख्तरी ने रोकने का प्रयास किया तब तहसील में जाकर कागज देखे गए। तब अख्तरी वेगम को पता लगा कि वह तो 12 साल पहले साल 2010 में ही मर चुकी हैं। अख्तरी वेगम अब लगातार शिकायतें कर रही हैं मैं जिंदा हूं लेकिन तहसील प्रशासन या ब्लाक प्रशासन अख्तरी वेगम की बात नहीं सुन रहा है। जबकि वास्तव में जिन अधिकारियों ने उस व्यक्ति के साथ मिलकर अख्तरी वेगम का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया है। या फिर जिस लेखपाल ने विरासत दर्ज की है उसके खिलाफ भी कोई कारवाई नहीं की गई है। यह सब कुछ बिना सांठ गांठ के संभव नहीं हो सकती है। यह पहला मामला नहीं है जिले में ऐसे बहुत से मामले पहले भी आते रहे हैं अगर पहले ही कडी कारवाई की गई होती तो अख्तरी वेगम को अपने जिंदा होने का सबूत नहीं ढूंढना पड रहा होता।

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