डीएचओ संभल कैबिनेट मंत्री के आदेश के चार दिन बाद भी सस्पेंड नहीं किया गया है। जबकि डीएचओ ने सरकारी खाते से लाखों का पेमेंट भी किया है। इसतने बडे हादसे के बाद भी डीएचओ का सस्पेंड ना होना चर्चा का विषय बना हुआ है।
यहां बता दें कि बीती 16 मार्च को संभल के चंदौसी में एआर कोल्ड स्टोर का नया चैंबर अचानक ही भरभराकर गिर गया था जिस कारण से कोल्ड स्टोर में 14 मजदूरों की दबकर मौत हो गई थी। एआर कोल्ड स्टोर इस नए चैंबर के बनाने की अनुमति तो ली गई थी। लेकिन यह चैंबर भंडारण के लिए पास नहीं किया गया था। भंडारण की अनुमति भी नहीं दी गई थी। इसके बावजूद भी डीएचओ ने इस चैंबर में आलू के भंडारण पर कोई रोक नहीं लगाई थी। आलू के भंडारण के समय में डीएचओ कोल्डस्टोरेज का मौके पर पहुंचकर निरीक्षण करते हैं। इस कोल्ड स्टोरेज का या तो जानबूझकर निरीक्षण नहीं किया गया था। या फिर निरीक्षण के समय इस नए व अनाधिकृत चैंबर की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया था।
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डीएचओ से आर्थिक सांठगांठ से इस चैंबर में भंडारण का काम किया गया था। यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि इस चैंबर की तीन ही दीवारें बनाई गईं थीं। चैथी दीवार बनाने के बजाए बराबर में बने चैंबर की दीवार में छेद करके गार्डर फंसाकर चैंबर खडा कर लिया था। इसके अलावा संभल जिले में तीन ऐसे और कोल्ड स्टोर हैं जिनमें बिना अनुमति के चैंबर बने हुए हैं। उनके खिलाफ भी कोई कारवाई नहीं हुई है। डीएचओ की लापरवाही सामने आने पर दुग्ध एवं पशुधन विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने घटना स्थल का दौरा करने के दौरान कहा था कि हमने कमिश्नर से कहा है कि डीएचाओ को सस्पेंड किया जाए। अब सवाल यह उठता है कि कैबिनेट मंत्री की बात कमिश्नर नहीं मान रहे हैं या फिर डीएचओ की पहुंच इतनी बडी है कि उन्हें कोई सस्पेंड कर नहीं पा रहा है। यदि कोल्ड स्टोर स्वामी अपराधी हैं और उन्हें जेल भेजा गया है तब डीएचओ का रोल भी कोई कम नहीं है। डीएचओ ने इस समय में पचास लाख से अधिक का भुगतान भी किया है। संभल डीएचओ का सस्पेंशन नहीं होना चर्चा का विषय बना हुआ है। सस्पेंशन की बावत पूंछने पर डिप्टी डायरेक्टर कृषि ने बताया कि अभी तक कोई आदेश नहीं आया है।
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