यूपी के जनपद बदायूं Badaun में लगभग 18 साल पहले हुए दवा घोटाले में जनपद में तैनात रहे तीन सीएमओ समेत सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। मामले की जांच सीबीआई कर रही है। आरोप है कि इन आरोपियों ने बिना नोटिफिकेशन के ही दवाओं की खरीद की व घोटाला किया।
यहंा बता दें कि वर्ष 2004 से 2006 तक बदायूं Badaun जिले में तैनात रहे तत्कालीन सीएमओ ने अपने अन्य अधीनस्थों के साथ मिलकर दवाओं का घोटाला किया। इन्होंने दवाओं के घोटाले के लिए फर्जी नोटिफिकेशन जारी किया। इसके बाद अपने करीबियों के मेडीकल स्टोरों से इस दवाई की खरीद की थी। जबकि यह मेडीकल स्टोर यूपीडीपीएल से अधिकृत डिस्ट्रीब्यूटर नहीं थे। इसके साथ ही बदायूं सीएमओ ने यूपीडीपीएल को दवा खरीद का कोई मांगपत्र भी नहीं दिया था। इस तरह से अनियमितता से दवाइयों की खरीद करना बेहद गंभीर मामला है।
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सूत्र तो यहंा तक बताते हैं कि इन दवाइयों की खरीद ही नहीं हुई थी और ना ही इन दवाइयों को खरीदकर सीएचसी या पीएचसी पर पहुंचाया गया। केवल यह दवाइयां कागजों में ही खरीदी गईं व कागजों में ही रिसीव भी की गईं। यह खरीद अधिकतम 50000 से नीचे की रही थी ताकि यह घोटाला पकड में ना आ पाए। इस मामले में तत्कालीन सीएमओ डा हरीराम, डा एमपी बंसल, डा सुधाकर द्विवेदी, तत्कालीन एसएमओ स्टो डा सीपी सिंघल, फार्मासिस्ट अनुपम कुमार, आर बी यादव इसके साथ कथित दवा सप्लायर सुरेश चैरसिया को आरोपी बनाया गया है। दवाइयों का यह घोटाला मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में हुआ था। आरोप है कि इन लोगों ने कागजों में हेराफेरी करने के साथ ही सरकारी धन का दुरूपयोग भी किया है। एफआईआर में आईपीसी की धारा 420, 419, 409, 467, 468, 471, 120 बी, व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13-2 लगाई गई हैं। यह सभी धाराऐं गैर जमानतीय हैं।
यहां यह भी बता दें कि बदायूं में और भी दवा घोटाले हैं जिनकी सीबीआई जांच कर रही है। 2007 से 2012 की बीच भी दवाइयों का एक घोटला हुआ है। जिसकी जांच सीबीआई दी देहरादून शाखा कर रही है। इस मामले में भी चार सीएमओ समेत 26 लोग जांच के दायरे में हैं। इस मामले में भी सीबीआई आधा दर्जन से अधिक लोगों से पूंछतांछ कर चुकी है।
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