जहां एक ओर पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है वहीं पुलिस के खौफ के कारण पेंपल गांव के वाशिंदे रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मना पाए। जिस पर भाजपा, शासन व प्रशासन ने कोई घ्यान नहीं दिया। आजादी के 75 साल बीतने के बाद भी पुलिस की इतनी बर्बरता की पूरे जिले में व्यापक चर्चा है। यहां महत्वपूर्ण यह भी है कि सरकार का घर घर तिरंगा अभियान भी पुलिस की वजह से असफल है गांव में एक भी घर पर तिरंगा नहीं लगा हुआ है।
यहां बता दें कि यूपी के जनपद बदायूं के थाना बजीरगंज के गांव पेंपल में एक युवक सुखवीर की अपहरण के बाद हत्या से नाराज ग्रामीणों ने पुलिस पर हमला कर दिया था। जिससे पुलिस ने 17 लोगों को नामजद करते हुए 100 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। सुखवीर के अंतिम संस्कार के बाद बजीरगंज पुलिस ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू किया। पुलिस के भय से मृतक सुखवीर का दसवां संस्कार भी नहीं हो पाया। यहां बता दें कि 10 अगस्त को सुखवीर का दसवां संस्कार था लेकिन पुलिस ने एक दिन पहले ही पूरे गांव में तांडव मचा दिया। पुलिस ने मृतक सुखवीर के तीन भाई व एक चाचा को गिरफ्तार कर दस अगस्त को दसवें वाले दिन जेल भेज दिया। इसके साथ ही पुलिस ने गांव में जो भी मिला उसे पीटा। गांव में भाजपा बूथ अध्यक्ष मुकेश मौर्य व उसके परिजन भी पुलिस को मौके पर मिल गए। भाजपा बूथ अध्यक्ष व उसके परिवार पर भी पुलिस ने पूरा कहर ढहाया।
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पुलिस ने मुकेश मौर्य के परिवार के चार लोगों को जेल भेजने के साथ ही पुलिस ने उसकी मां व बहन को भी पीटा था। इससे उनके चोटें भी आई थीं। पुलिस ने 19 लोगों को पकडा था। उनमें से 7 को छोड दिया। जिन 12 लोगों को जेल भेजा था उनके साथ भी पुलिस ने मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है। पुलिस पर हमले की बात को किसी भी रूप से सही नहीं कहा जा सकता है। लेकिन पुलिस को भी किसी के साथ अत्याचार का लाइसेंस नहीं मिलता है। चूंकि सरकार इस समय भाजपा की है अगर भाजपा अपने बूथ अध्यक्ष के साथ हुए अन्याय में साथ नहीं खडी हो पा रही है। तब आम आदमी के साथ क्या होगा। इस पूरी घटना से भाजपा की किरकिरी हो रही है।
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अब पुलिस की इस बर्बरता के कारण पूरे गांव में एक भी पुरूष नहीं है। जो भी बहनें गांव में रक्षा बंधन मनाने को आईं। वह बिना राखी बांधे वापस चली गईं क्योंकि गांव में उन्हें भाई नहीं मिले। जहां देश आजादी का अमृत महोत्सव वहीं एक गांव में पुलिस की वजह से बहन भाई के प्यार का त्योहार नहीं मना पाना बेहद ही संवेदनशील मुद्दा है। जहां हर गांव व शहर के प्रत्येक घर पर तिरंगा दिखाई दे रहे हैं वहीं पेंपल गांव के एक भी घर पर तिरंगा नहीं लगा हुआ है। यह भी कम चिंता जनक नहीं है।
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