उघैती के गरीब परिवार की तीन सगी बहनें एक साथ बनीं दरोगा जिसकी चारों ओर विस्तार से चर्चा हो रही है। इन बहनों को एक समय फीस जमा करने के भी पैसे नहीं होते थे जब एक साथ तीनों बहनें दरोगा बनीं तब पिता की आंखों में आंसू थे।
रविवार को जब बरेली में पुलिस सभागार में दरोगा के पदों पर चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिए गए तब उघैती की एक साथ तीन बहनों शैली गुप्ता, शिखा गुप्ता व शिल्पी गुप्ता को नियुक्ति पत्र मिले तो सभी चकित थे। एडीजी जोन पीसी मीना ने तीनों को एक साथ नियुक्ति पत्र दिए तब पिता का सीना चैडा हो गया। इस अवसर पर पत्रकारों से बात करते हुए तीनों बहनों ने बताया कि उनके पिता संजीव गुप्ता पेशे से एक किसान हैं। उनके पास अधिक जमीन भी नहीं है। इसलिए वह एक छोटी सी मिठाई की दुकान भी चलाते हैं।
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इस आय में जैसे तैसे परिवार का पेट ही भर पाता है। ऐसी परिस्थितियों में पढाई कर पाना बेहद कठिन हो जाता है। कई बार फीस जमा करने के लिए भी पिता को संकट से गुजरना पडता था। लेकिन पिता का संघर्ष जारी रहा और तीनों बहनों ने एमएससी तक की पढाई की। परिवार की स्थिति अच्छी नहीं होने पर रिश्तेदारों ने बेटियों की शीघ्र ही शादी की सलाह दी। लेकिन पिता ने बेटियों की मेहनत पर भरोसा किया और उसी का परिणाम हुआ कि एक साथ तीनों बहनों ने दरोगा बन अपनी एक लकीर बना दी। तीनों बेटियों ने पहले ही अपने लिए जाब तो हासिल कर ली थी। इस दौरान शैली व शिखा यूपी पुलिस में सिपाही बन गई थीं जबकि शिल्पी रेलवे में जाब कर रही थी। लेकिन इन बेटियों का मन नहीं भरा था। तीनों बहनों ने एक साथ दरोगा की परीक्षा दी और तीनों ने सफलता हासिल की। उघैती के गरीब परिवार की तीन सगी बहनों के एक साथ दरोगा का नियुक्ति पत्र हासिल करते देख पिता संजीव गुप्ता की आंखों से खुशी के आंसू निकल रहे थे।
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