पुलिस की ज्यादती से परेशान पेंपल का मृतक का परिवार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने लखनऊ पहुंच गया है। मुख्यमंत्री के बाहर होने के कारण आज मुलाकात नहीं हो सकी कल मिलने की संभावना है।
यहां बता दें कि यूपी के जनपद बदायूं के थाना बजीरगंज के गांव पेंपल निवासी युवक सुखवीर की अपहरण के बाद हत्या हो गई थी। इस मामले में कानूनी कारवाई करने में थाना पुलिस ने लापरवाही की थी। इस कारण से युवक की लाश मिलने पर गांव वाले भडक गए और गांव वालों ने बजीरगंज थाना पुलिस पर हमला कर दिया था। जिससे थानाध्यक्ष बजीरगंज व दो अन्य पुलिस कर्मी घायल हो गए थे। इसके बाद पुलिस ने सुखवीर के अंतिम संस्कार के बाद 17 लोगों को नामजद करते हुए 100 अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी।
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इसके बाद पुलिस ने गांव से 9 अगस्त को 19 लोगों को गिरफ्तार किया था। जिनमें से 7 लोगों को छोड दिया था। इन गिरफ्तार लोगों में भाजपा बूथ अध्यक्ष मुकेश मौर्य व उसके परिवार की तीन अन्य लोग भी थे। भाजपा बूथ अध्यक्ष मुकेश मौर्य के परिवार का आरोप है कि पुलिस ने मुकेश मौर्य की मां, बहन व बुजुर्ग दादा के साथ मारपीट की थी। ग्रामीणों का आरोप है कि गांव में पुलिस ने दर्जन भर से अधिक घरों में तोड फोड व मारपीट की थी। मृतक सुखवीर के परिवार भी चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा है। सुखवीर का 10 अगस्त को दसवां संस्कार होना था लेकिन पुलिस के द्वारा उसके परिवार के चार लोगों को गिरफ्कर जेल भेज देने के कारण मृतक सुखवीर का दसवां संस्कार भी नहीं हो सका। मृतक सुखवीर के परिवार की महिलाओं का आरोप है कि पुलिस ने हमारे साथ ही मारपीट की थी। इस कारण से मृतक सुखवीर की भावी, चाची व ननिहाल का परिवार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने लखनऊ गया है।
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चूंकि शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बाहर थे इसलिए मुलाकात नहीं हो पाई। कल मुलाकात की संभावना है। यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि पुलिस पर हमला करने का किसी को कोई अधिकार नहीं था। तब पुलिस को भी किसी महिला के साथ मारीपीट का कोई अधिकार नहीं है। दूसरे मुकदमे में आरोपियों को गिरफ्तार कर छोडना व अपहर्ता को ढूंढने में लापरवाही करने की भी जांच नहीं की गई। क्या पुलिस ने कोई लापरवाही की या फिर पुलिस अपनी जगह ठीक थी। जिन आरोपियों को पुलिस ने 28 जुलाई को गिरफ्तार कर छोड दिया था। उन्हीं आरोपियों को पुलिस ने पुनः गिरफ्तार कर जेल क्यों भेजा अगर समय से पुलिस ने यह कारवाई कर दी होती तब शायद पुलिस पर किसी प्रकार का हमला भी नहीं हुआ होता।
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