विधानसभा चुनाव बीत चुके हैं अब नगरपालिका चुनाव का भी समय पूरा होने वाला है। शासन स्तर पर इस चुनाव को लेकर उधेड बुन शुरू हो गई हैं। इसी को लेकर सबसे पहला काम आरक्षण को लेकर किया जाना है। इसके लिए परिसीमन किया जाना आवश्यक है। इसके लिए विशेष तौर पर जो नगरपालिकाऐं कभी आरक्षित नहीं हुई हैं उन पर विशेष ध्यान देने की बात चल रही है।
यहां बता दें कि जब से आरक्षण की व्यवस्था लागू हुई है तब से नगरपालिका बिसौली कभी भी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित नहीं हुई है। एक बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई थी लेकिन इस बार चुनाव हट गए लेकिन जब दोबारा से चुनाव हुए आरक्षण में अनुसूचित जाति का आरक्षण समाप्त हो चुका था। इस बार चक्रानुक्रम का आरक्षण सपा सरकार ने नए सिरे से किया था। इस मामले की वजह से वर्ष 2012 में ही एक बार नगरपालिका पिछडी जाति के आरक्षित रही है। इसके अलावा नगरपालिका अनुसूचित जाति के लिए आजतक आरक्षित नहीं रही है। इस बार 2017 में बिसौली नगर पालिका अनारिक्षत थी। लेकिन इस बार यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने की संभावनाऐं बढ गई हैं। सूत्र बताते हैं कि इस बार उन सीटों पर सरकार की विशेष नजर है जो लम्बे समय से आरक्षित नहीं हुई हैं, और समाजवादी पार्टी के लोगों के कब्जे में हैं। अगर उन्हें इस तरह से कब्जे में नहीं लिया जा पा रहा हो तब उनको अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित करना भी एक तरीका हो सकता है। वैसे नगर पालिका बिसौली में अनुसूचित जाति की भी अच्छी खासी आबादी है। पिछले चुनाव में भी नगरपालिका अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने की पूरी संभावना थी लेकिन कुछ तकनीकी कारणों की वजह से आरक्षित नहीं हो पाई थी। लेकिन इस बार की पस्थितियों पर अगर गहनता से विचार किया जाय तो इस बार अनुसूचित जाति के लिए नगरपालिका के आरक्षण की प्रबल संभावना दिखाई देती हैं वैसे यह तो आने वाली समय ही बताएगा कि इस बार नगरपालिका का अध्यक्ष पद आरक्षित होता है तो किसके लिए या फिर अनारक्षित रहता है।
तो क्या एससी रिजर्व हो जाएगी नगरपालिका बिसौली ?
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