इसे सिनोद शाक्य का मास्टर स्ट्रोक कहें या फिर जैसे को तैसा लेकिन बुद्धवार को हुए घटनाक्रम से समाजवादी पार्टी की जिला बदायूं में बडी किरकिरी हो रही है। अगर यह कहा जाय कि सपा को बडा झटका लगा है तब भी कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी। कुछ लोग इसे सपा की असफलता बता रहे हैं तो कुछ पूर्व सांस धर्मेद्र यादव को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
अक्सर लोगों को झटका देने की आदि सपा को बदायूं में जब झटका लगा तब यह चर्चा आम हो गई। यहां बता दें कि जिला पंचायत चुनाव के समय समाजवादी पार्टी के पास कोई ताकतवर प्रत्याशी नहीं था। तब समाजवादी पार्टी ने पूर्व विधायक सिनोद शाक्य से संपर्क साधा गया उस समय सिनोद शाक्य भी राजनैतिक वनवास ही काट रहे थे। सिनोद को कुछ समय पहले बसपा ने निष्काशित कर दिया था, और वह भाजपा में शामिल होने की जुगाड कर रहे थे। उस समय भाजपा के कुछ नेताओं का विरोध करने के कारण सिनोद शाक्य भाजपा में शामिल नहीं हो पा रहे थे।
इसी बीच जब सपा ने उनसे संपर्क किया तब सिनोद शाक्य ने विधानसभा टिकिट की शर्त पर जिला पंचाायत चुनाव लडने की हामी भरी थी। सूत्रों का कहना है कि समाजवादी पार्टी ने सिनोद शाक्य को बिल्सी विधानसभा से चुनाव लडाने का आश्वासन दिया था। सिनोद शाक्य ने पत्नी सुनीता शाक्य को जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लडवा दिया व चुनाव हार गए। चुनाव हारने के बाद सिनोद शाक्य ने बिल्सी विधानसभा में अपनी सक्रियता भी बढा दी थी। उनके होर्डिंग बैनर लगने के साथ ही वह बिल्सी विधानसभा के सपा के कार्यक्रमों में भी शामिल होने लगे थे।
कुछ समय बाद सपा का महानदल से गठबंधन हो गयां और यह सीट महानदल के खाते में चली गई। यहां से महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य के पुत्र चंद्र प्रकाश को टिकिट मिला। इसके बाद सिनोद शाक्य को दातागंज से टिकिट देने का आश्वासन दिया। लेकिन अंतिम क्षणों में सिनोद टिकिट काटकर कैप्टन अर्जुन को दे दिया जिससे सिनोद शाक्य को बडा झटका लगा। इससे सिनोद शाक्य नाराज थे इसी कारण से सिनोद शाक्य पूरे विधानसभा चुनाव में निष्क्रिय रहे। वह केवल सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के मंच पर ही दिखाई दिए थे। इसके बाद एमएलसी चुनाव के लिए भी जब सपा के पास ताकतवर प्रत्याशी का अभाव था तब फिर सपा ने सिनोद शाक्य को उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया सत्ता के चुनाव कहे जाने वाले इस चुनाव में भी सिनोद शाक्य को जीत दिखाई नहीं दे रही थी।
इसके साथ ही इसी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बदायूं विधानसभा में पहले तो काजी रिजवान को प्रत्याशी घोषित किया। इसके बाद उनका टिकिट काटकर हाजी रहीस को दे दिया। जिसके लिए काजी रिजवान ने पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को जिम्मेदार ठहराया था। लेकिन बुद्धवार को जब सिनोद शाक्य ने अपना नामांकन वापस लेकर सपा को जो झटका दिया है उससे सपा सदमे में है।
जिस बदायूं को सपा का गढ कहा जाता था उसी बदायूं में सपा प्रत्याशी का मैदान छोड जाना सपा के लिए बेहद ही चिंताजनक है। इस घटनाक्रम पर बदायूं के पूर्व विधायक व मंत्री रहे आबिद रजा ने कहा कि सपा ने जैसा किया वैसा भरा। दूसरों को धोखा देने वालों को धोखा ही मिलता है।
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