महिला दिवस पर विशेष
अब आज के दौर में महिलाऐं अब किसी भी क्षेत्र में काम करने में पीछे नहीं हैं। इस समय हमारे जिले की जिलाधिकारी भी एक महिला हैं जबकि बिसौली की एसडीएम भी एक महिला हैं जिनका नाम है ज्योति शर्मा। ज्योति शर्मा के पिता पुलिस में कांस्टेबल थे जो कि अब प्रमोट होकर हेड कांस्टेबल हो गए हैं। एसडीएम बिसौली का काम करने का काम भी बिल्कुल अनौखा है। इसलिए अक्सर चर्चा में रहती हैं। ज्योति अपने पिता की संतानों में सबसे बडी हैं। ज्योति शर्मा के पिता देवेन्द्र शर्मा मूलरूप से मथुरा के निवासी हैं। उनकी शुरूआती नौकरी लखनऊ में या उसके आस पास के क्षेत्र मंे गुजरी है। इस कारण से शर्मा की शिक्षा दीक्षा भी पिता के साथ ही हुई थी। चूंकि बच्चे पिता के साथ ही रहते थे इसलिए उसी छोटे से आवास में रहना होता था। पूरा परिवार उसी दो कमरों के आवास में रहता था। ज्योति शर्मा शुरू से ही पढने में काफी तेज थीं। तीन सिपाहियों ने सर्राफा व्यापारी से चार किलो चांदी लूटी, गिरफ्तार
पिता की छोटी से नौकरी और तीन भाई बहनों की जिम्मेदारी इसके साथ ही लखनऊ जैसे शहर में रहने का खर्चा काफी कठिन था। लेकिन पिता अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे थे। अपनी कम क्षमता के बावजूद भी पिता ने बच्चों को आवश्यक सुविधाओं की कोई कमी नहीं रखी। पढाई पूरी करने के बाद मन में प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना आया। इसकी तैयारी शुरू कर दी। लेकिन तैयारी के लिए कुछ समस्याओं के समाधान के लिए नेट की आवश्यकता हुई तब पिता ने घर में इंटरनेट कनेक्शन लिया। उस समय एक जीबी डाटा की कीमत लगभग 300 रूपए होती थी। सभी भाई बहन सलीके से इस 1 जीबी डाटा का प्रयोग करते थे। प्रशासनिक सेवा की तैयारी करने के बाद जब पहली बार परीक्षा पास की तब उन्हें बीडीओ का पद मिला था। इस समय वह अयोध्या में तैनात रहीं थीं। लेकिन वह इस पद से संतुष्ट नहीं हुईं, और तैयारी जारी रखी अगले प्रयास में वह एसडीएम बन गईं। उनकी पहली तैनाती बदायूं में ही हुई, बाद में वह बिसौली की एसडीएम बनीं। एसडीएम ज्योति शर्मा दो बहनें व एक भाई है। छोटी बहन कीर्ति शर्मा ने अपनी शिक्षा में गोल्ड मेडल प्राप्त किया था। वह अब ओनजीसी में वैज्ञानिक हैं। जबकि भाई दीपक शर्मा बालीबाल का राष्ट्रीय खिलाडी है।
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