बजीरगंज में दुकानदारों की याचिका खारिज हो गई है। हाईकोर्ट ने नगरपंचायत की 72 दुकानों की पुनः नीलामी की प्रक्रिया को हरी झंडी दे दी है। अगर दुकानदार चाहें तो दुकानों का बकाया किराया जमा करके नीलामी प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं। इस सूचना से बजीरगंज के दुकानदारों में खलबली मच गई है।
यहां बता दें कि पूरा मामला यूपी के जनपद बदायूं के कस्बा बजीरगंज का है। यहां के दुकानदारों ने दुकानों की नीलामी का समय पूरा होने के बाद भी दुकानदार दुकानें खाली करने को सहमत नहीं थे। बार बार नोटिस देने के बाद भी दुकानदार दुकानें खाली नहीं कर रहे थे। इन दुकानों का नीलामी का समय बीती वर्ष 2014 में समाप्त हो चुका है। समय समाप्त होने के बाद भी जब दुकानदारों ने दुकानें खाली नहीं कीं
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तब नगर पंचायत प्रशासन ने दुकानें खाली कराने का प्रयास किया। इसके बाद दुकानदार हाईकोर्ट इलाहाबाद चले गए थे। लेकिन हाईकोर्ट ने दुकानदारों को किसी प्रकार से कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि जब दुकानों की नीलामी केवल 10 साल के लिए की गई थी तब यह दुकानें अब तक दुकानों के कब्जे में क्यों हैं। इन दुकानों की नीलामी प्रक्रिया की जो सलाह नगर पंचायत ने दी है वह बिल्कुल सही है। इसलिए दुकानों की नीलामी की प्रक्रिया का रास्ता साफ किया जाता है। इन दुकानदारों को भी इस नीलामी प्रक्रिया में शामिल किए मौका दिया जाएगा। लेकिन दुकानदारों को नीलामी प्रक्रिया में शामिल होने के लिए मौका है। लेकिन दुकानदारों को नगर पंचायत का शेष बकाया किराया पहले ही जमा करना पडेगा। नगर पंचायत की यह दुकानें नगर में राजनीति का भी अखाडा रही हैं। अब यह आदेश आने से नगर पंचायत चुनाव की राजनीति पर भी खासा असर पडेगा।
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