सरकार भले ही लोगों की गरीबी दूर करने का कितना ही ढिंढोरा पीटती हो लेकिन हकीकत जब सामने आती है तब आंखे खुली रह जाती हैं। डीएम साहब जिस व्यक्ति के पास एक वीघा जमीन नहीं है उसके लिए ना तो राशन मिला ना शौचालय मिला और ना ही आवास मिला लेकिन विकास का दावा पक्का बताया जा रहा है।
यहां बता दें कि मामला यूपी के जनपद बदायूं के तहसील बिल्सी के विकास खंड बिसौली के गांव चनी का है। इस गांव में संजीव कुमार का परिवार रहता है। डीएम साहब यह परिवार एक कच्ची कोठरी के बाहर पन्नी डालकर रहने को मजबूर है। संजीव कुमार जाति से बढई हैं और मजदूरी का काम करते हैं। उनके नाम मात्र एक वीघा कृषि जमीन है। संजीव का मजदूरी के अलावा कोई अन्य व्यवसाय नहीं है।
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संजीव कुमार के इस घर में शौचालय नहीं है लेकिन गांव को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। इसमें बिना शौचालय दिए कैसे यह गांव ओडीएफ हो गया बता पाना संभव नहीं है। राशन कार्ड की सभी पात्रता पूरी हैं लेकिन संजीव का राशन कार्ड अभी तक गांव में नहीं बनाया गया है जबकि गांव में दो दर्जन से अधिक अपात्र राशन कार्ड का लाभ ले रहे हैं। कई बार संजीव ने राशन कार्ड बनवाने को आवेदन किया लेकिन बिना किसी कारण के संजीव का राशन कार्ड नहीं बन सका। डीएम साहब यहां महत्वपूर्ण है कि सरकार की योजना है कि गांव में एक भी कच्चा आवास नहीं होना चाहिए लेकिन संजीव की बात करें तो उनके घर में एक कच्ची कोठरी है। जो कभी भी परिवार की कब्रगाह बन सकती है। लेकिन पूरा परिवार उसी मौत की कब्र में रहने को मजबूर है। इस कोठरी के बाहर संजीव ने एक पन्नी डाल ली है। जिसके नीचे किसी तरह से पूरा परिवार अपना जीवन जीने को मजबूर है। संजीव का परिवार जैसे तैसे जीवन यापन कर पा रहा है। लेकिन उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है। वास्तव में इस परिवार को आवास, शौचालय व राशन कार्ड सभी प्राप्त होने चाहिए लेकिन सरकार मशीरी की मनमानी के कारण कोई सुविधा ना मिल पाना शासन की विकास योजनाओं के मुहुं पर कडा तमाचा है।
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