सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व गृह राज्य मंत्री चिन्मयानंद को राहत देने से इंकार कर दिया। चिन्मयानंद को जाना होगा जेल इस मामले में अब कोई रास्ता शेष नहीं है। कोर्ट ने 30 नवंबर तक ट्रायल कोर्ट के समक्ष सरेंडर करना होगा।
यहां बता दें कि अपनी कथित शिष्या के रेप के मामले में फंसे भाजपा नेता व पूर्व गृह राज्य मंत्री चिन्मयानंद के खिलाफ जारी वारंट मामले में कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है। एपेक्स कोर्ट ने कहा कि दुराचार के मामले को रद्द नहीं किया जा सकता है। मामले में जो भी कारवाई होनी है वह ट्रायल कोर्ट ही करेगी। शाहजहांपुर की इस कोर्ट से चिन्मयानंद के वारंट जारी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 30 नवंबर तक का समय दिया है िकवह कोर्ट के सामने सरेंडर करें व अपनी बात कहें। चूंकि लम्बे समय से वारंट जारी है इसलिए जेल भी जाना पड सकता है। यहां गौरतलब है कि वर्ष 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद सरकार ने चिन्मयानंद पर लगे रेप के मामले को वापस ले लिया था।
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लेकिन पीडिता ने इस पर आपत्ति कर दी थी। इसके बाद कोर्ट ने मुकदमा वापसी से इंकार कर दिया था। सूत्र बताते हैं कि अब पीडिता भी मुकदमा वापसी को सहमत है। लेकिन हाईकोर्ट इलाहाबाद ने मुकदमा वापसी से इंकार कर दिया था। जबकि सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने केस वापसी की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा केस वापसी से इंकार करने के बाद चिन्मयानंद की मुश्किलें बढ गईं हैं। चूंकि मामले में पहले ही वारंट चल रहे है। इस मामले में चिन्मयानंद ने आज तक जमानत नहीं कराई है। इस मामले में भाजपा नेता ने पहले हाईकोर्ट इलाहाबाद से स्टे ले लिया था। लेकिन जब सरकार ने केस वापस लिया तब आरोपी ने अपनी स्टे याचिका वापस ले ली थी। यहां महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि रेप जैसे मामले को वापस लिया जाना और उसके लिए पीडिता का भी सहमत होना कहीं ना कहीं समाज के लिए चिंता का विषय है।
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