लक्ष्मीपुर मामले में अमरभास्कर डाटकाम की खबर का बडा असर हुआ है। खबर लिखे जाने के दो घंटे बाद ही दूसरे पीडित का मेडीकल कराने के साथ ही बिसौली पुलिस ने मुकदमा भी दर्ज कर लिया। पुलिस पर एक पक्ष की मदद का आरोप लग रहा था।
यहंा बता दें कि मामला बदायूं जनपद के थाना कोतवाली बिसौली का मामला है। यहां के गांव लक्ष्मीपुर के कुछ युवक बारवां शरीफ का जुलूस देखने अपने गांव से संग्राम पुर जा रहे थे। चूंकि एक साल पहले मतलूब व दिलेहसन के पिता अलीहसन में मारपीट हुई थी। जिसका मुकदमा लिखा गया था। इसके साथ ही दिलेहसन के चाचा हसनैन की भी मारपीट का मुकदमा अदालत में चल रहा है। आरोप है कि इसी रंजिश के कारण शाहरूख पुत्र रजी, मतलूब पुत्र मुनब्बर ने दिलेहसन की बाइक रोक ली। व गाडी से डण्डा निकालकर मारपीट शुरू कर दी। इसके बाद दोनों ओर से मारपीट शुरू हो गई। इस मारपीट में एक पक्ष के दिलेहसन व हसनैन घायल हुए जबकि दूसरे पक्ष से शाहरूख घायल हुआ है।
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दोनों पक्ष रात में ही पुलिस के पास पहुंच गए। लेकिन पुलिस ने घायल शाहरूख का मेडीकल भी करा दिया एवं उसकी ओर से रिपोर्ट भी दर्ज कर ली। जबकि दिलेहसन व हसनैन की ना तो रिपोर्ट दर्ज की और ना ही मेडीकल कराया। जब घटना में दोनों पक्ष के लोग घायल हैं तब दोनों ओर से कारवाई की जानी चाहिए। लेकिन कोतवाली में दिलेहसन ने जब अपने मेडीकल का बार बार अनुरोध किया तब कोतवाली मुंशी ने बताया कि पुलिस चैकी दबतोरी के इंचार्ज मना कर गए हैं। इसलिए तुम्हारा मेडीकल नहीं कराया जा रहा है। इस प्रकरण को लेकर अमर भास्कर डाट काम ने प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद बिसौली कोतवाली पुलिस ने पीडित को बुलाकर उसका मेडीकल परीक्षण को दी जाने वाली मजरूह की चिट्ठी जारी की। मेडीकल के बाद पुलिस ने घटना का मुकदमा भी दर्ज कर लिया। यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि दबतोरी चैकी इंचार्ज ने बताया था कि दूसरा पक्ष घायल ही नहीं है। जब घायल ही नहीं था तो अब मेडीकल परीक्षण होना व मुकदमा दर्ज होना प्रदर्शित करता है कि पुलिस मामले को जानबूझकर दबाने का प्रयास कर रही थी। पुलिस द्वारा घटनाओं को दबाने के कारण ही कई बार बडी घटनाऐं भी हो जाती हैं।
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