खुशखबरी: बरेली में बनेगा चिडियाघर

0
597
Zoo at Bareilly

विशेष तौर पर यह खबर बच्चों के लिए खुशखबरी लेकर आई है बरेली Bareilly में 23 वर्षों से बंद पड़ी रबर फैक्ट्री में चिडियाघर बनेगा। फतेहगंज पश्चिमी की किसी भुतहा हवेली सी नजर आने वाली रबर फैक्ट्री को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की ओर सरकार ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। यदि सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में इस भूमि पर एक शानदार चिडियाघर बना दिखाई देगा। जो इस मार्ग से गुजरने वालों के अलावा अन्य लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होगा। साथ ही इससे राजस्व की प्राप्ति भी होगी। इसको लेकर वन विभाग के अधिकारियों ने सुझाव आया है, जिस पर वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ अरुण कुमार ने अधिकारियों को मामले को आगे बढाने के निर्देश दिए हैं।

Read More ——-अखबार बेचने वाला निरीश राजपूत बन गया आईएएस

23 वर्ष पहले हुई बंद
बरेली Bareilly की यह रबर फैक्ट्री सेठ किलाचंद ने बनवाई थी। उन्होंने फैक्ट्री चलाने के लिए विभिन्न बैँक्स से 147 करोड़ रुपए लोन लिया था। 23 वर्ष पहले 1999 में फैक्ट्री लॉस होने के कारण बंद कर दी गई थी। इसके बाद काफी जमीन बीएसएफ आदि को आवंटित की जा चुकी है। अब 1281 एकड़ जमीन फैक्ट्री के कब्जे में अभी भी शेष बची है। इस फैक्ट्री के कर्मचारियों के काफी ड्यूज अभी भी शेष हैं।
रविवार शाम को वनविभाग की एक बैठक हुई जिसमें वन विभाग के अधिकारियों ने वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ अरुण कुमार को इस फैक्ट्री के खाली पडे परिसर में चिडियाघर स्थापित करने का सुझाव दिया। अधिकारियों का कहना था कि रबड़ फैक्ट्री की 1241 एकड जमीन खाली पड़ी है। यहां अक्सर बाघ, बाघिन, तेंदुआ, हाथी जैसे जानवर भटक कर पहुंच जाते हैं। यदि यहां पर चिडियाघर बन जाए तो यह एक अच्छा खासा पर्यटन स्थल हो, जिससे सरकार को धर्नाजन भी होगा। इसके अलावा क्षेत्र के कई बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगा। इस पर मंत्री ने अधिकारियों से प्रस्ताव बनाने को कहा। इसके अलावा मयूर वन चेतना केंद्र को भी विस्तार देने के लिए रूपरेखा तैयार करने के निर्देश दिए। बैठक में मुख्य वन संरक्षक ललित वर्मा, वन संरक्षक जावेद अख्तर, डीएफओ समीर कुमार, एसडीओ एसके अमरेश, रेंजर वैभव चैधरी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी रोहित सिंह, पर्यावरण अभियंता शशि बिंदकर आदि उपस्थित रहे।

Read More ——-नशेडी दूल्हे ने जयमाला डाली और दुल्हन ने जडे थप्पड

इतिहास
इस रबड़ फैक्ट्री का इतिहास 64 वर्ष पुराना है। वर्ष 1958 में मुंबई के सेठ किलाचंद फतेहगंज पश्चिमी आए थे। यहां उन्होंने रबर फैक्ट्री बनाई थी। जिला प्रशासन ने इसके लिए आस पास के गांवों की माधोपुर, माली और रुकमपुर गांव की करीब 17 सौ एकड़ भूमि को अधिग्रहीत किया था। यह भूमि किराए पर ली गई थी। इसकी शर्त थी कि अगर इस फैक्ट्री का कार्य किसी प्रकार से बंद होता है तब यह जमीन फिर से राज्य सरकार की हो जाएगी। इस खाली पडी जमीन पर अगर चिडियाघर बनता है तब इस क्षेत्र के लोगों को पर्यटन का यह अच्छा केन्द्र होगा।

Read More ——-लखीमपुर कांड: मंत्री टेनी के पुत्र आशीष मिश्र की जमानत सुप्रीम कोर्ट से रद्द

(Visited 418 times, 1 visits today)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here