भ्रष्टाचार के आरोप में एडीजे संस्पेंड व सेक्शन आफीसर बर्खास्त

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भ्रष्टाचार के आरोप में

यूपी के हाईकोर्ट ने कडी कारवाई दिखाते हुए भ्रष्टाचार के आरोपी एडीजे फस्र्ट को निलंबित किया है। जबकि सेक्शन आफीसर को बर्खास्त कर दिया है। जिससे भ्रष्टाचारियों में हडकंप मच गया है।
यहां बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने अपना निर्णय सुनाते हुए भ्रष्टाचार के आरोप में एडीजे फस्र्ट रामकिशोर शुक्ला को रिश्वत लेकर एक निर्णय सुनाने के आरेाप में निलंबित किया है जबकि हाईकोर्ट की सेक्शन आफीसर कुसुम मिश्रा को नौकरी से बर्खास्त किया है। उन पर नौकरी लगवाने का आरोप है। नवभारत टाईम्स की एक खबर के अनुसार एडीजे फस्र्ट रामकिशोर शुक्ला पर नियमों के खिलाफ जाकर निर्णय देने की कई शिकायतें हुई हैं।

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जिनकी जांच भी हुई है। हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए पूर्ण पीठ ने शुक्ला को सस्पेंड कर दिया। इसके साथ राम किशारे शुक्ला के कार्यालय को भी सील कर दिया है। जांच जारी है। एक दूसरे मामले में हाईकोर्ट के सेक्शन अधिकारी के रूप में काम करने वाली सेक्शन आफीसर कुसुम मिश्रा को भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया है। कुसुम मिश्रा नौकरी के नाम पर रिश्वत लेने का आरोप था। आरोप की जांच में दोषी पाए जाने पर हाईकोर्ट ने कडा एक्शन लिया। जिसमें कुसम मिश्रा को बर्खास्त किया गया है। यहां बता दें कि चित्रकूट जनपद के थाना कर्वी के गांव बनवारीपुर के महेंद्र प्रताप की शिकायत थी कि उनके बेटे को जिला अदालत में नौकरी दिलवाने के नाम पर अनुभाग अधिकारी कुसुम मिश्रा ने जुगाड के नाम पर उनसे दस लाख रू लिए थे। लेकिन नौकरी नहीं लगी। शिकायत में आरोप जब सही पाया गया तब हाईकोर्ट ने अनुभाग अधिकारी कुसुम मिश्रा को बर्खास्त करते हुए कहा है कि वह भविष्य में भी नौकरी पाने के लिए अयोग्य घोषित की जाती हैं। यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायपालिका में जीरो टालरेंस की नीति के विषय में कई मौकों पर अपने विचार व्यक्त कर चुके हैं।

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