एसडीएम तहसीलदार समेत सात लोगों के खिलाफ न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस मामले की विवेचना शुरू कर दी है। जबकि तहसीलदार रिटायर हो चुके हैं। मामला मतदाता सूची से नाम काटने को लेकर है।
यहां बता दें कि मामला यूपी के जनपद बिजनौर के थाना अफजलगढ का है। यहां के एक गांव आलमपुर गांवडी के रहने वाले पवन पुत्र कृपाल सिंह का आरोप है कि मतदाता सूची से उनका नाम जान बूझकर काटा गया है। इससे नाराज होकर पहले तो पवन ने शिकायतें कीं। जब कोई कारवाई नहीं हुई तब पवन ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। पवन ने न्यायालय में दिए गए अपने 156(3) सीआरपीसी के प्रार्थना पत्र में कहा है कि उन्होंने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में, वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव में व 2021 के पंचायत चुनाव में मतदान किया था।
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उनका नाम मतदाता सूची में विधिवत दर्ज था। लेकिन विधानसभा 2022 के विधानसभा चुनाव में उनका नाम काट दिया गया। पवन का आरोप है कि उनका नाम मतदाता सूची से जानबूझकर अपने पद का दुरूपयोग करते हुए काटा गया है। मतदाता सूची में नाम ना होने के कारण वह अपने मत का प्रयोग नही ंकर पाए। इस कारण से वह अपने एक संवैधानिक अधिकार से वंचित रह गए। जब वह जीवित हैं और देश की किसी अन्य मतदाता सूची में उनका नाम नहीं है तब उनका नाम नहीं काटा जा सकता है। पवन का आरोप है कि धामपुर के एसडीएम विजयवर्धन सिंह तोमर, व तहसीलदार धामपुर रमेश समेत सात लोगों ने पवन को छोटी जाति का समझते हुए उनका नाम मतदाता सूची से काट दिया। इस मामले में आरोपी तहसीलदार रमेश सेवानिवृत हो चुके हैं। जबकि पांच अन्य अज्ञात हैं। यहां बता दें कि इन अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही से पूरे देश में बहुत से जीवित मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से काट दिए जाते हैं जिनका नाम मतदाता सूची से नहीं काटा जाना चाहिए।
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