आम आदमी तो दूर नगर के मजिस्ट्रेट की बेटी को भी जिला अस्पताल में इलाज नहीं मिल पाया वह एक घंटे तक तडपती रही। परेशान होकर निजी अस्पताल में भर्ती कराया तब कहीं जाकर राहत मिली। इसके बाद मजिस्ट्रेट ने जिलाधिकारी व सीएमएस को पत्र लिखकर कारवाई की मांग की है।
बीती रात यूपी के बदायूं जनपद के जिला अस्पताल की अव्यवस्थाओं की पूरी पोल खुल गई। आम आदमी तो दूर सिटी मजिस्ट्रेट तक अपनी बेटी को जिला अस्पताल में इलाज नहीं दिला पाए। बेटी लगभग डेढ घंटे तक तडपती रही। जब प्राईवेट अस्पताल में बेटी को भर्ती कराया तब उसे कहीं जाकर राहत मिली। यहां बता दें कि बीती रात बदायूं के सिटी मजिस्ट्रेट की बेटी अचानक ही बीमार हो गई थी। सिटी मजिस्ट्रेट अपनी बेटी को लेकर रात में लगभग एक बजे जिला अस्पताल पहुंचे जहां पर अस्पताल का स्टाफ सो रहा था। काफी प्रयास के बाद अस्पताल का स्टाफ जागा त बवह अर्धनग्नावस्था में ही बाहर आए। इलाज के नाम पर डेढ घंटे तब लडकी यूं ही तडपती रही। कोई डाक्टर ही नहीं आया।
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सिटी मजिस्ट्रेट की बेटी को इलाज के नाम पर एक गोली तक नहीं मिली। यहंा सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिला अस्पताल का स्टाफ सिटी मजिस्ट्रेट को जानता तक नहीं था। जब सिटी मजिस्ट्रेट अस्पताल पहुंचे तब उनसे पूंछा गया कि तुम कौन हो, सिटी मजिस्ट्रेट के बताने पर भी स्टाफ ने ना तो विश्वास किया और ना ही अपने काम में कोई तेजी ही दिखाई। इसके बाद वह अपनी बेटी को लेकर एक निजी अस्पताल लेकर गए जहां बेटी को इलाज के बाद आराम मिला। इस पूरी घटना से आहत सिटी मजिस्ट्रेट ने जिलाधिकारी व जिला अस्पताल के सीएमएस को पत्र लिखा है। सूत्र बताते हैं कि इससे पहले भी सिटी मजिस्ट्रेट का गनर भी बीमार हुआ था तब भी कोई इलाज सिटी मजिस्ट्रेट के गनर को नहीं मिल पाया था।
यहां सबसे बडा प्रश्न यह है कि जब सिटी मजिस्ट्रेट जैसे नगर के बडे अधिकारी की बेटी को इलाज नहीं मिल पाया तब इस जिला अस्पताल में आम लोगों के खिलाफ क्या हालत होती होगी। इस मामले पर जिलाधिकारी को कडी कारवाई करते हुए शासन को भी पत्र लिखना चाहिए।
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