नगर में जाम लम्बे समय से एक बडी समस्या बनी हुई है। लेकिन उसका समाधान होना तो दूर लगतार बढती ही जा रही है। जाम का नियंत्रण ना होने में पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध है। सबसे अधिक जाम इस्लामनगर चैराहे पर लगता है यहंा पुलिस व होमगार्ड के सिपाही मौजूद रहते हैं, लेकिन यह सिपाही वहां केवल औपचारिकता के लिए ही रहते हैं। इस चैराहे से बिल्सी व इस्लामनगर के लिए प्राईवेट बसें जाती हैं। यह बसें पूरे दिन बीच रास्ते पर खडी होकर सवारियां भरती हैं। पहले यह बसें सवारियां साइड से खडी होकर भरती थीं। चूंकि अब यहां पर दुकानें खुल गईं हैं बस के खडे होने से दुकानें ग्राहकों को दिखाई नहीं देती हैं।
इसलिए दुकानदार इन बसों को किनारे से खडा नहीं होने देते हैं इस कारण से यह बस वाले बीच सडक पर बस खडी करके सवारियां भरते हैं। यह बसें बीच रास्ते पर पूरे दिन खडी रहती हैं। एक बस जाती है तो दूसरी वहां आकर खडी हो जाती है। इसके साथ ही एक बस ठीक चैराहे पर खडी होकर सवारियां भरती है जबकि दूसरी बस वहंा से कुछ ही दूरी पर सवारियां भरती है। इसलिए वाहनों के आवागमन को रास्ता कम बचता है। इस कारण से यहां पूरे दिन जाम की स्थिति बनी रहती है। अगर कोई वाहन वाला इस बीच रास्ते में बस खडे होने पर सवाल उठाता है तो यह बस वाले व उनके समर्थक उससे भिडने को तैयार हो जाते हैं। यहंा सबसे बडी बात यह है कि यह सब कुछ पुलिस की मौजूदगी में होता है। इसके साथ ही इसी जगह पर छोटे छोटे टेम्पो भी यहां सवारियां भरते हैं। अगर इन बसों व वाहनों के सवारियां भरने के स्थान को आगे बढा दिया जाए तो यहंा के जाम की समस्या का समाधान हो सकता हैं। इसके साथ ही दबतोरी मोड भी जाम का बडा कारण है यहां पर भी ईरिक्शा चालक मोड पर ही सवारियां भरते हैं। अब से कुछ समय पहले पुलिस ने इन चालकों को सवारियां भरने के लिए बाईजी के मंदिर के सामने सवारियां भरने का स्थान निर्धारित किया था लेकिन यहां भी पुलिस की लापरवाही से यह ईरिक्शा चालक सवारियां भरते हैं। जिससे जाम की स्थिति बनती है कमाल बात यह है कि यहां भी होमगार्ड पूरे दिन तैनात रहते हैं। लोगों का कहना है कि अगर पुलिस सक्रियता निभाए तो जाम की समस्या का समाधान संभव है।